भट्ट भास्कर वाक्य
उच्चारण: [ bhett bhaasekr ]
उदाहरण वाक्य
- तैत्तिरीय आरण्यक की व्याख्या में भट्ट भास्कर ने लिखा है ‘ अथ नम ट्टषिभ्य मंत्रकृदिभ्यो द्रष्टुभ्य: ।
- १) के भाष्य में, भट्ट भास्कर तैत्तरीय आरण्यक (४. १. १) के भाष्य में और कात्यायन गर्ग श्रौतसूत्र (३. २. ९) की व्याख्या में लेते हैं।
- उज्जयिनी गुरु सांदिपनी, धन्वंतरि, महर्षि अत्रि, महाकात्यायन, चार्वाक, शूद्रक, परमार्थ, मत्स्येंद्रनाथ, भतृहरि, विक्रमादित्य, वराह मिहिर, वेताल भट्ट, वररुचि, घटखर्पर, कालिदास, भट्ट भास्कर, भास, जैनाचार्य महासेन, सुबंधु, गुणाढ्य, आचार्य भद्रबाहु, भोजराज, उबट, स्वामी जदरूप, आर्यसूर, आचार्य दंडी, बाण भट्ट आदि, आदि, आदि कालजयी विभूतियों से निरंतर दीप्तिमान रही है ।